नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ हाथो में त्रिशूल लिए है गले में है सर्पो की माला देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ तुरत षडानन आप https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
The Basic Principles Of Shiv Chaisa
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